हे भोले हे भंडारी | Kavita he bhole he bhandari
हे भोले हे भंडारी ( He bhole he bhandari ) हे भोले हे भंडारी वो दुनिया थी और अब आ गया कलयुग घोर ज़हर जो तूने समा लिया था कंठ में वो अब फैल गया है सब ओर अब क्या सोच रहा है कुछ नहीं क्यों बोल रहा है क्या … Continue reading हे भोले हे भंडारी | Kavita he bhole he bhandari
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