हृदय के गाँठ | Kavita hriday ke ganth

हृदय के गाँठ ( Kavita hriday ke ganth )   1. हृदय के गाँठ खोल के,आओ बात बढाते है। परत दर परत गर्द है, आओ उसे उडाते है। ये दुनिया का है मेला,भीड मे सब अन्जाने से, पकड लो हाथ मेरा तो,दिल की बात बताते है।   2. खुद लज्जाहीन रहे जो, वो तेरी क्या … Continue reading हृदय के गाँठ | Kavita hriday ke ganth