हृदय मेरा पढ़ पाए ( Hriday mera padh paye ) अन्तर्मन में द्वंद बहुत है, जाकर किसे दिखाए। ढूंढ रहा हूँ ऐसा मन जो, हृदय मेरा पढ़ पाए। मन की व्याकुलता को समझे,और मुझे समझाए। राह दिखे ना प्रतिद्वंदों से, तब मुझे राह दिखाए। बोझिल मन पर मन रख करके,हल्के से मुस्काए। … Continue reading हृदय मेरा पढ़ पाए | kavita
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