हुंकार भरो | kavita Hunkar Bharo

हुंकार भरो ( Hunkar bharo )     तेल फुलेल क्रीम कंघी से, नकली  रूप  बनाओगे। या असली सौन्दर्य लहू का, आनन पे चमकाओगे।   रक्त शिराओ के वेगों को, रोक  नही  तुम पाओगे। क्राँन्ति युक्त भारत पुत्रों के,सामने गर तुम आओगे।   हम आर्यो के वंशज है जो, दुर्गम पथ पर चल कर भी। … Continue reading हुंकार भरो | kavita Hunkar Bharo