इक भॅवरा | Kavita Ik Bhanwara

इक भॅवरा ( Ik Bhanwara ) इक भॅवरा है मस्त मिलोगे करता है गुन्जार मिलोगे कहता है वो कली से जाकर क्या मुझको स्वीकार करोगे कली खिली और खुलकर बोली कहो मेरी हर बात सुनोगे छोड़ के मुझको किसी कली से तुम नजरें न चार करोगे बोलो मुझको प्यार करोगे भंवरा बिन सकुचाते बोला मानूगा … Continue reading इक भॅवरा | Kavita Ik Bhanwara