कमरे की घुटन | Kavita kamare ki ghutan

कमरे की घुटन ( Kamare ki ghutan )   बंद कमरे में सिमट कर रह गई दुनिया सारी टूट रहे परिवार घरों से बिखर गई है फुलवारी   मनमर्जी घोड़े दौड़ाए बड़ों का रहा लिहाज नहीं एकाकी सोच हो गई खुलते मन के राज नहीं   बंद कमरों की घुटन में नर रहने को मजबूर … Continue reading कमरे की घुटन | Kavita kamare ki ghutan