कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm

कर्म से तू भागता क्यों ?   क्या बंधा है हाथ तेरे कर्म से तू भागता क्यों? पाव तेरे हैं सलामत फिर नहीं नग लांघता क्यों? नाकामियों ने है डराया वीर को कब तक कहां ? हार हिम्मत त्याग बल को भीख है तू मांगता क्यों ? मानता तू वक्त का सब खेल है बनना … Continue reading कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm