कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm
कर्म से तू भागता क्यों ?
तृष्णा (Trishna ) तृष्णाएं सदा संतृप्त, नेह से संसर्ग कर पगडंडियां व्याकुल दिग्भ्रमित, उच्चवाचन मरीचि प्रभाव । सुख समृद्धि मंगलता दूर, निर्णयन क्षमता अभाव । अथक श्रम सफलता चाहना, विराम पल उत्सर्ग कर । तृष्णाएं सदा संतृप्त ,नेह से संसर्ग कर ।। नैतिक आचार विचार, नित विमल कामना स्पंदन । कपट रहित धवल छवि, हृदय…
उठो पार्थ ( Utho parth : Geeta Saar ) उठो पार्थ अब बाण उठाओ,पापी का संघार करो। धर्म धार कर कुन्ती नन्दन, पुनः धर्म आधार धरो। चढा प्रत्यचा गाण्डीव पे तुम,रक्त बीज निसताप करो, मोह त्याग कर शस्त्र उठाओ,भारत का संताप हरो। याद करो तुम द्रुपद सुता के,खुले केश अंगार नयन। वस्त्रहरण का…
सुन रही हो माँ ( Sunn Rahi ho Maa ) देखो माँ , हर वर्ष मातृ दिवस पर तुम्हारा गुणगान किया जाता है, उस एक दिन में, भर दिए जाते है पन्ने, तुम्हारी महानता के, माँ महान है, माँ बगैर हम कुछ नही, कही झूठ कही सच, कही भ्रम का लिबास पहनाकर, तुम्हारी महिमा…
सैनिक ( Sainik ) वो सैनिक है, वो रक्षक है || 1.न हिन्दू है न मुस्लिम है, वो केवल मानव राशी हैं | न दिन देखें न रात पता हो, वो सच्चे भारतबासी हैं | चाहे गर्मी हो या बर्फ जमे, अपना कर्तव्य निभाते हैं | खुद जान गंवा कर सीमा पर, हिन्दुस्तान बचाते…
रश्मिरथी ( Rashmirathi ) देख सखी दिनकर नहीं आए आहट सुन रश्मि रथियों ने खोली द्वारा निशाचर डींग हांक रहे थे जो वह दुम दबाकर गये भाग कल की रात्रि अति काली जो अब ना दे दिखाई सोच सखी उनके आने पर क्या क्या देगा दिखाई तेज स्वरूप- सिंहासन संपूर्ण क्षितिज सुनहरी छाई निशाचर…
नशा ( Nasha ) नशा एक जलती चिता, नशे का नशा, जिस किसी को लगा, कवेलू तलक, उसके घर का बिका! नशा —— एक जलती चिता, नन्हें बच्चों का भविष्य, दांव पर लगा! घर स्वर्ग से नरक का रूप, धारण करने लगा! अन्न मिलता नहीं, तड़पते हैं बच्चे भूख से, विधवा उसकी पत्नी, लगती है…