कौन बुझाये | Kavita Kaun Bujhaye
कौन बुझाये! ( Kaun bujhaye ) दुश्मन जो आग लगाए पानी उसे बुझाये, पानी ही आग लगाए उसे कौन बुझाये। माना यौवन के आगे न चलता जोर किसी का, मीठी-मीठी नजरों से जब होता कत्ल किसी का। कोई थाम के बाँह को छोड़े कोई दूजा पार लगाए, जब दूजा ही बाँह को … Continue reading कौन बुझाये | Kavita Kaun Bujhaye
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