ख़्याल | Kavita Khayal

ख़्याल ( Khayal ) ढली है शाम ही अभी , रात अभी बाकी है हुयी है मुलाकात ही, बात अभी बाकी है शजर के कोटरों से, झांक रहे हैं चूजे पंख ही उगे हैं अभी, उड़ान अभी बाकी है अभी ही तो, उभरी है मुस्कान अधरों पर मिली हैं आँखें ही अभी, दिल अभी बाकी … Continue reading ख़्याल | Kavita Khayal