कोई तुमसा नहीं है ज़माने में | Kavita Koi Tumsa nahi

कोई तुमसा नहीं है ज़माने में ( Koi tumsa nahi hai zamane mein )   सूखे पत्ते सा दरखत बन गया था मैं, देखा तुझको तो जीना आ गया हमें। आज जीवन संवरने लगा है हमारा, तुम हमसफर बन गए हो जो हमारा।। हम थें अनजान तुम भी थें अनजान, दोनों मिलें यूं ही और … Continue reading कोई तुमसा नहीं है ज़माने में | Kavita Koi Tumsa nahi