लोग ( Log ) टेढ़ा मेढ़ा कटाक्ष, लिखा फिर भी, समझें लोग, सीधा सीधा मर्म, लिखा ही लिखा, जरा न समझें लोग। वक्तव्यों मे अपने, सुलझे सुलझे, रहते लोग, मगर हकीकत मे, उलझे उलझे, रहते लोग, खातिरदारी खूब कराते, मेहमानी के, शौकीन लोग, खातिरदारी जरा न करते, मेजबानी से, डरते लोग, अपना समझें और … Continue reading लोग | Kavita Log
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