मैं आपकी | Kavita Main Aap ki

मैं आपकी ( Main Aap ki ) जनम -जनम का प्रीति जुड़ा है । सर्वस्व आपसे पूरा है ।। धर्म, हे प्रभु! आप निभाइए। सुमा के भी नाथ कहाइए।। मांग सिंदुरी नित सजती रहे। पाँव पैंजनियाँ बजती रहे ।। कंगन भी मैं तो खनकाऊँ। नित मैं आपकी ही कहाऊँ।। भक्ति- धारा सदा बहाइए। सुमा के … Continue reading मैं आपकी | Kavita Main Aap ki