मैं क्या दूं वतन को | Kavita main kya doon watan ko

मैं क्या दूं वतन को ( Main kya doon watan ko )   दुखी हो रही आज भगीरथी कोस रही है जन को। गंदा हुआ तन सारा मेरा मैं क्या दूं अब वतन को।   निर्मल निर्मल नीर सुरसरि नित बहती गंगा धारा। नेह उमड़ता था घट घट में झरता सुधारस प्यारा।   दुनिया के … Continue reading मैं क्या दूं वतन को | Kavita main kya doon watan ko