मौसम की मार | kavita mausam ki maar

मौसम की मार ( Mausam ki maar )   शीतलहर ढ़ाहत कहर दिखाई न देता डगर है, पग-पग जोखिम भरा मुश्किल हुआ सफ़र है,     सनसन चलती हवा ठंडक से ठिठुरता मानव, कौन किसकी बात सुने सबही हुआ सफ़र है।   कहीं पड़ते बर्फ के फाहे कहीं मूशलाधार वर्षा, चहुँओर से घिरता जीवन जीना … Continue reading मौसम की मार | kavita mausam ki maar