मोहन सी प्रीति | Kavita Mohan see Preeti

मोहन सी प्रीति ( Mohan see Preeti ) मन का भोलापन कैसे बताए, कभी खिला-खिला कभी मुरझाए। कहता नहीं फिर भी कहना चाहे, बिन जाने सुने तर्कसंगत बन जाए। गम का छांव लिपटस सा लिपट ले, तो अनमना मन कभी रूदन को चुन ले। संघर्ष से डरता नहीं फिर भी अग्रसर नहीं, तूफानो से भिड़ता … Continue reading मोहन सी प्रीति | Kavita Mohan see Preeti