मुझे गुरूर है कि | Kavita Mujhe Guroor hai

मुझे गुरूर है कि ( Mujhe guroor hai ki )    मुझे गुरूर है कि मैं भारत देश का वासी हूं। लेखनी का दीप जलाता हरता हर उदासी हूं। लुटाता प्यार के मोती शब्दों की बहारों से। खुशियां ढूंढता रहता हंसी चेहरों नजारों में। मुझे गुरूर है बिटिया का पिता हूं मैं प्यारा। महके आंगन … Continue reading मुझे गुरूर है कि | Kavita Mujhe Guroor hai