मुराद | Kavita Murad

मुराद ( Murad )   एक तू ही नही खुदा के आशियाने मे कैद हैं और भी कई इसी अफसाने मे दर्द से हुआ है फरिग् कौन इस जमाने मे खोज ले जाकर भले अपने या बेगाने मे मन माफिक मुराद सभी को हासिल नही कैसे मान लिया कि तेरे लिए कोई मंजिल नही बेशक्, … Continue reading मुराद | Kavita Murad