नये साल में | Kavita naye saal mein

नये साल में! ( Naye saal mein )   आओ मोहब्बत का फूल खिलाएँ नए साल में, बहे न कहीं इंसानियत का लहू, नए साल में। अंधेरे न लूट पाएँ अब उजालों की दौलत, कोई गमगीन लम्हा न फटके नये साल में। धरती भी महके और ये फिजायें भी महकें, उगेंगे ख्वाबों के दरख्त देखो … Continue reading नये साल में | Kavita naye saal mein