परहित सरिस धर्म नहिं भाई | Kavita Parhit Saris Dharam Nahi Bhai

परहित सरिस धर्म नहिं भाई ( Parhit Saris Dharam Nahi Bhai )     मोहिनी मूरत हृदय समाई, परहित सरिस धर्म नहिं भाई।   पीर हरे जाकी रघुवीरा, तरहीं पार सिंधु के तीरा।   जाके घट व्यापहीं संतापा, सुमिरन रामनाम कर जापा।   प्रेम सुधारस घट रघुराई, परहित सरिस धर्म नहिं भाई।   मन मलीन … Continue reading परहित सरिस धर्म नहिं भाई | Kavita Parhit Saris Dharam Nahi Bhai