फागुन | Kavita phagun

फागुन ( Phagun )   फागुन की दिन थोड़े रह गए, मन में उड़े उमंग। कामकाज में मन नहीं लागे, चढ़ा श्याम का रंग।   रंग  बसंती  ढंग  बसंती,  संग  बसंती  लागे। ढुलमुल ढुलमुल चाल चले,तोरा अंग बसंती लागे।   नयन से नैन मिला लो हमसे, बिना पलक झपकाए । जिसका पहले पलक झपक जाए, … Continue reading फागुन | Kavita phagun