फूल और कांटे | Kavita Phool Aur Kaante

फूल और कांटे! ( Phool Aur Kaante )    मत बेचो रोशनी अपने मकान की, कुछ तो लाज रखो दुनिया जहान की। मिसाइलों की भृकुटी चढ़ा रखा है वो, कुछ तो ख्याल कर मेरे आसमान की। अनजान बन के मत बर्बाद कर उसे, कर कुछ कद्र यू.एन.ओ.के जुबान की। आदमी से इंसान बनना बड़ा मुश्किल, … Continue reading फूल और कांटे | Kavita Phool Aur Kaante