प्यार | Kavita Pyar ki

प्यार ( Pyar )    जहां पशुता और पुरुषत्व खत्म होता है वहाँ प्यार का फूल खिलता है जहां अधिकार की नहीं सम्मान की भाव हो वहीं प्यार फूलता और फलता है जहां वर्चस्व की कोई जगह नहीं बचता वहाँ पर ही प्यार पनपता है ना कोई छल कपट ना धोखा हो जहां वहाँ प्यार … Continue reading प्यार | Kavita Pyar ki