सब कुछ बदल गया अब | Kavita sab kuchh badal gaya ab
सब कुछ बदल गया अब ( Sab kuchh badal gaya ab ) सब कुछ बदल गया अब तो बदला आलम सारा कहां गई वो प्रीत पुरानी बहती सद्भावों की धारा दूर देश से चिट्ठी आती पिया परदेश को जाना पनघट गौरी भरें गगरिया हंस-हंसकर बतलाना बदल गया अब रहन सहन सब शिक्षा … Continue reading सब कुछ बदल गया अब | Kavita sab kuchh badal gaya ab
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