समय के लम्हे | Kavita Samay ke Lamhe

समय के लम्हे ( Samay ke Lamhe ) काश! समय के वो लम्हे फिर से वापस आ जाएं । मुरझाए जो फूल पलाश के फिर से हर्षित हो जाएं।। फिर से हो चुहलबाज़ी उन तिरछी नजरों की। बिन बोले ही कहते जो बातें उन अधरों की। ये चुप्पी साधे होंठ फिर से मंद मंद मुस्काएं … Continue reading समय के लम्हे | Kavita Samay ke Lamhe