समय के साथ | Kavita Samay ke Sath
समय के साथ ( Samay ke Sath ) रहता है वक्त जब मुट्ठी में तब बढ़ जाता है अभिमान कुंजी ताली हाथ में अपने दुनिया लगती धूल समान बदल जाती सब बोली भाषा जुड़ती जाती नित नव आशा चल पड़ते हैं तब पाने को गगन बढ़ती रहती मन की अभिलाषा नज़रों से हो जाता … Continue reading समय के साथ | Kavita Samay ke Sath
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