संसार न होता | Kavita Sansar na Hota

संसार न होता….! ( Sansar na hota )   मन का चाहा यदि मिल जाता, तो फिर यह संसार न होता। हार न होती, जीत न होती, सुख दु:ख का व्यापार न होता। रोग-शोक-संताप न होता, लगा पुण्य से पाप न होता। क्यों छलकाते अश्रु नयन ये, जो उर में परिताप न होता। स्नेह स्वार्थ … Continue reading संसार न होता | Kavita Sansar na Hota