सीख दे गई | Kavita Seekh

सीख दे गई (Seekh De Gayi ) सूखी टहनी उड़ आई मेरे पास थी उसे कुछ कहनी बोली मुझे न काटा कर जरूरत भर मांग लिया कर मैं खुशी खुशी दे दूंगी नहीं हूं बहरी गूंगी सुनती हूं सब कुछ देखती हूं तेरे व्यवहार सहकर तेरे अत्याचार भी कुछ कहती नहीं इसका क्या मतलब दोगे … Continue reading सीख दे गई | Kavita Seekh