सीखो | Kavita Seekho

सीखो! ( Seekho )    कुदरत से संवरना सीखो, दीपक जैसा जलना सीखो। नहीं बनों तू नील गगन तो, बनकर मेघ बरसना सीखो। आदमी से इंसान बनों तुम, औरों का बोझ उठाना सीखो। काटो नहीं उन हरे वृक्षों को, नई पौध लगाना सीखो। कद्र करो तू छोटे-बड़े का, फूल के जैसे खिलना सीखो। हुनर,जमीं,आसमां अपना … Continue reading सीखो | Kavita Seekho