सोलह श्रृंगार | Kavita Solah Shringar

सोलह श्रृंगार ( Solah Shringar ) मैं तो सुहाग सिंदूर मांग सजाऊँ, मैं तो कंगन ,चूड़ी खन – खन खनकाऊँ, मैं तो पायलियाँ छन – छन छनकाऊँ , होता नहीं भाग्य में लिखा सबका सोलह श्रृंगार, चाहिए इसके लिए प्रभु जी की कृपा अपार। मैं तो मेंहदी हाथ रचाऊँ, मैं तो महावर पांव लगाऊँ, काजल … Continue reading सोलह श्रृंगार | Kavita Solah Shringar