तितली बन उड़ जाऊं | Kavita titli ban ud jau
तितली बन उड़ जाऊं ( Titli ban ud jau ) नीले अंबर खुले आसमां तितली बन उड़ जाऊं। सारी दुनिया घूम के देखूं महकूं और मुस्काउं। डगर डगर गांव-गांव देखूं सारे रंग अलबेले। हौसलों के पंख लगा देखूं दुनिया के मेले। हिम्मत और हौसलों से कुछ करके मैं दिखलाऊं। देखूं दुनिया के … Continue reading तितली बन उड़ जाऊं | Kavita titli ban ud jau
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