उठी कलम | Kavita Uthi Kalam

उठी कलम ( Uthi Kalam )   उठी कलम चली लेखनी कविता का स्वरूप हुआ। शब्द सुसज्जित सौम्य से काव्य सृजन अनूप हुआ। टांग खींचने वाले रह गए सड़कों और चौराहों तक। मन का पंछी भरे उड़ानें नीले अंबर आसमानों तक। छंद गीत गजलों को जाना कलमकारों से मेल हुआ। एक अकेला चला निरंतर अब … Continue reading उठी कलम | Kavita Uthi Kalam