वक़्त ( Waqt ) जब से छाया गुनाहों की पड़ने लगी । रूह मेरी ही मुझसे झगड़ने लगी ।। तेज आंधी से जंगल जब हिलने लगे । सूखे पेड़ों की दम तब उखड़ने लगी ।। मन के बीरान जंगल डराने लगे । गर्म बालू सी तबीयत बिगड़ने लगी ।। वक़्त के … Continue reading वक़्त | Kavita waqt
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed