वो सुहाने पल | Kavita Wo Suhane Pal
वो सुहाने पल ( Wo Suhane Pal ) याद आते खूब हमको वो सुहाने पल। बैठ पिता के कंधों पर करते हलचल। अठखेलियां आंगन में हंसते मुस्काते। दादा दादी भी घर में फूले नहीं समाते। आस पड़ौस में आना जाना भाता था। खेल खेलने हुजुम बड़ा जम जाता था। बाजारों में रौनक होती चौपालों पर … Continue reading वो सुहाने पल | Kavita Wo Suhane Pal
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