वह बुड्ढा नीम | Kavita woh buddha neem
वह बुड्ढा नीम ( Woh buddha neem ) जो तपस्वी सा खड़ा अचल वो बुड्ढा नीम। जर्जर सी हवेली हुई डगमग हो रही नींव। यादों के झरोखों में झलक आए सावन सारे। ठाठ बाट हवेली के वो दिन थे कितने प्यारे। हाथी घोड़े ऊंट होते भावों की बयार बहती। आपस में प्रेम … Continue reading वह बुड्ढा नीम | Kavita woh buddha neem
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