ज़िन्दगी ( Zindagi ) कभी शोला, कभी शबनम, कभी मधुर झनकार ज़िदगी। कभी है तन्हाई का गीत, न जाने कब आयेंगे मीत, मिलन जब होगा परम पुनीत, धन्य जब होंगे नयन अधीर, लगती है अभिसार जिंदगी। बगीचे में जो रोपे फूल, बने फिर आगे चल कर शूल, नहीं मिलता है कोई कूल, जिगर के … Continue reading ज़िन्दगी | Kavita Zindagi
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