खाक में न मिलाओ वतन को कोई | Khaak mein na Milao Watan ko

खाक में न मिलाओ वतन को कोई! ( Khaak mein na milao watan ko koi )   आग कहीं पे लगाना मुनासिब नहीं, होश अपना गंवाना मुनासिब नहीं। दे के कुर्बानी किए चमन जो आजाद, ऐसी बगिया जलाना मुनासिब नहीं। तुमने जो भी किया आज देश है खफ़ा, हक़ किसी का मिटाना मुनासिब नहीं। सबकी … Continue reading खाक में न मिलाओ वतन को कोई | Khaak mein na Milao Watan ko