ख़ल्वत-ओ-जल्वत | Khalvat-o-jalvat
ख़ल्वत-ओ-जल्वत ( Khalvat-o-jalvat ) ख़ल्वत-ओ-जल्वत में यारों फ़र्क ही कितना रहाउसकी यादों का सदा दिल पर लगा पहरा रहा। मुझमें ही था वो मगर किस्मत का लिक्खा देखिएअंजुमन में गैऱ के पहलू में वो बैठा रहा। कुछ कमी अर्ज़ -ए – हुनर में भी हमारी रह गईवो नहीं समझा था दिल की बात बस सुनता … Continue reading ख़ल्वत-ओ-जल्वत | Khalvat-o-jalvat
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