खंजर ** नरम पत्तों के शाख से हम भी बहुत ही कोमल थे पर। है छीला लोगो ने यू बार-बार की अब हम,खंजर से हो गये। ** जिसे ही माना अपना उसने ही आजमाया इतना। कि शेर हृदय के कोमल भाव भी सूख के,पिंजर से हो गये। ** मिट गये भाव सुधा … Continue reading खंजर
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