किन सोचो में गुम हो फ़ैसल | Ghazal

किन सोचो में गुम हो फ़ैसल ( Kin sochon mein gum ho faisal )     किन सोचो में गुम हो फ़ैसल! इतने क्यूँ गुमसुम हो फ़ैसल   औरो की  गलती भी क्या  है गुनहगार तो तुम हो फ़ैसल   झूम उठे जो मन का सावन बारिश वो रिमझिम हो फ़ैसल   बाहर निकलें मेरा … Continue reading किन सोचो में गुम हो फ़ैसल | Ghazal