किराए की मस्ती | Kiraye ki Masti
किराए की मस्ती ( Kiraye ki masti ) खार ही खार बिखरे हैं चमन में मिलते नहीं फूल गुलाब के सवालों की चादर में लिपटे हैं सभी मिलते नहीं उत्तर जवाब के साथ की जरूरत में आता नहीं साथ कोई निकल जाने पर वक्त के मिल जाते हैं हमदर्द कई मिलते हैं रिश्ते अपने … Continue reading किराए की मस्ती | Kiraye ki Masti
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