क्या करें बहार का | Kya Kare Bahar ka

क्या करें बहार का ( Kya kare bahar ka )    मस अले हज़ार हो तो क्या करें बहार का अभी उलझ रहा है कुछ हिसाब कारोबार का। याद आ रहा वही बहार में न जाने क्यूं पास है जिसे न कौल का न ही करार का। मजलिसों में देखकर नज़र चुरा रहा है वो … Continue reading क्या करें बहार का | Kya Kare Bahar ka