लहू से ये दुनिया कब तक नहाये | Lahoo se

लहू से ये दुनिया कब तक नहाये ? ( Lahoo se ye duniya kab tak nahaye )   नज़्म    बारूद को मैं बुझाने चला हूँ, चराग़-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ। दुनिया है फानी, दो पल की साँसें, बिछा दी है लोगों ने लोगों की लाशें। रोती फिजा को हँसाने चला हूँ, चराग़-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ, बारूद … Continue reading लहू से ये दुनिया कब तक नहाये | Lahoo se