लक्ष्य तक ( Lakshya tak ) मजबूत इरादों की मंजिल से ही पहुंचा जा सकता है मुकाम तक सोच की मुट्ठी मे भरी बालू तो फिसलकर गिर ही जाती है बेशक ,चमकती है बालू बहुत मगर उसमे मोती कहीं नहीं होते तपती हुई रेत के सिवा सागर की गहराई खंगालनी ही पड़ती है वीरों … Continue reading लक्ष्य तक | Lakshya Tak
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