प्रभु हेतु प्रेम पाती | Love for the Lord

प्रभु हेतु प्रेम पाती कोई तो पहुंचा दो, मेरे प्रेम की पांति। नील गगन के पार, रहते हैं मेरे साथी। कोई तो पहुंचा दो, मेरे प्रेम की पांति।। लिखी हूंँ अंँसुवन जल से। हृदय के अंतस्थल से। तपे हृदय कुम्हार की, अंवे की है भांति। कोई तो पहुंचा दो, मेरे प्रेम की पांति।। उनसे आप … Continue reading प्रभु हेतु प्रेम पाती | Love for the Lord