“माँ” आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है

“माँ” आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है   यशोदा-कौशल्या से ज़्यादा लाड लड़ाती, देख-देख अठखेलियां मंद-मंद मुस्काती, आशीषों की झड़ी लगा के लेती है बलाए, आज भी माथा चूम जी भरके देती दुवाएं, ममता का सागर वो निश्छल बरसाती है ! “माँ” आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है !! १ !! क्या कोई … Continue reading “माँ” आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है