मदांध हो ना करें कोई चर्चा | Charcha par kavita

मदांध हो ना करें कोई चर्चा ! ***** चर्चा की जब भी हो शुरुआत, टाॅपिक हो कुछ खास । समसामयिक मुद्दे हों या हो इतिहास/विज्ञान की बात! बारी बारी से सबकी सुनें, फिर अपनी बात भी गंभीरता से कहें। उद्वेगी स्वर या उतावलेपन की- ना हो बू-बास, तथ्यपरक जानकारियों पर करें विश्वास। तर्क सबका अपना … Continue reading मदांध हो ना करें कोई चर्चा | Charcha par kavita