मधुरिम अहसास | Kavita madhurim ehsaas
मधुरिम अहसास ( Madhurim ehsaas ) तुम समझते हो मेरी इस पीर को क्या वह सुखद अहसास बासन्ती सुमन वह कूल कालिंदी कदम तरु का मिलन वह कुछ अनकहे से अनछुये अहसास लेकर आज फिर होगा मिलन आभास लेकर मैं गयी थी तुम न आये रोक पाओगे भला क्या आंख से छलका जो मेरे … Continue reading मधुरिम अहसास | Kavita madhurim ehsaas
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