मधुशाला ! ( Madhushala ) छूत – अछूत में भेद करो नहीं, जाकर देखो कहीं मधुशाला। मन मैल करोगे मिलेगी न मुक्ति, संभालो जो ब्रह्मा दिए तुम्हें प्याला। झुक जाता है सूरज चंदा के आगे, पीता है निशदिन भर -भर प्याला। तेरे होंगे जब कर्म मधु-रितु जैसे, तब छलकेगी अधरों से अंतर हाला। जाति-कुजाति … Continue reading मधुशाला | Madhushala
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