भुजंग भूषण कैलाशपति | Mahakal Kavita
भुजंग भूषण कैलाशपति ( Bhujang Bhushan Kailashpati ) तेरे दर पर शीश नवाता बाबा तेरे मंदिर जाता हूं लोटा भर के जल चढ़ाऊं अर्पण करने आता हूं तेरा नाम जपूं निशदिन बाबा तेरा ध्यान लगाता हूं मंझधार में डूबी नैया शिव दिल का हाल सुनाता हूं हे कैलाशी तू अविनाशी शिव नीलकंठ महादेव डमरू … Continue reading भुजंग भूषण कैलाशपति | Mahakal Kavita
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